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गुरुमाँ अनीता

ग्रामीण पृष्ठ भूमि में पली बड़ी और ग्रामीणों से सीखा अपनापन| 

 

मैं गुरुमाँ अनीता, पेशे से एक चिकित्सक रही हूँ| स्कूली शिक्षा शुरू से उत्कृष्ट रही, बतौर चिकित्सक बहुत नाम कमाया| मरीजों तथा अपने क्षेत्र के लोगों ने काफी सम्मान दिया और साथ ही गरीब और बेसहारा जरूरतमंद लोगों को सहारा दिया| उनके लिए चिकित्सा कैंप में फ्री दवा परामर्श देती रही| दवाइयों के लिए खुद व समर्थ लोगों का सहयोग लिया| एड्स के प्रति जागरूकता व पोलियो अभियान में प्रशासन का सहयोग करते हुए पूरे प्रदेश में कार्य किया| अपने जीवन के पूरे 30 साल इस कार्य में लगाए, जो की अब भी जारी है|

 

इन सब सामाजिक कार्यों के लिए छोटी सी आशा द्वारा राष्ट्रीय स्त्तर पर पहचान मिली और अन्य राज्य व राष्ट्रीय स्तरीय सम्मान भी मिले।

 

मैं यहीं नहीं रुकी| यह सब करते हुए जितना भी समय मिलता था मैं अध्यात्म के माध्यम से धर्म के प्रचार-प्रसार में लगाती थी| माता पिता द्वारा दिए गए संस्कार और उनसे मिली भक्ति भावना के कारण बचपन से ही भक्ति के प्रति रूझान रहा| रात के समय बिलकुल सन्नाटे में अनेको बार सवा-सवा लाख मंत्रो का जप किया तथा पूरा-पूरा दिन दशांश का यज किया| उसके बाद ज्ञान व आत्मा का बल बढ़ता रहा और प्रभु की प्रेरणा मिलती रही|

 

अब पूर्ण रूप से सन्यास लेकर सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार में लग गयी हूँ| इसके लिए झज्जर में सन 2000 में मंदिर और 2020 में आश्रम बनवाया है| अब प्रचार के अलावा मेरा समय आश्रम में ही व्यतीत होता है| प्रत्येक सोमवार काफी लोगों के साथ मिलकर यज किया जाता है और धर्म के प्रचार व सबकी शांति के लिए चर्चा होती है| 

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आत्मा कभी भी किसी भी शस्त्र द्वारा टुकड़ों में काटी नहीं जा सकती, न ही आग द्वारा जलाई जा सकती है, न पानी द्वारा गीली की जा सकती है, न ही हवा द्वारा सूखाई जा सकती है।

Wisdom (ज्ञान)

गुरुमा अनीता द्वारा साझा की गई आध्यात्मिक, प्रेरणादायक और प्रेरणात्मक ज्ञान से अपनी आत्मा को समृद्ध करें।

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आध्यात्मिक

अपने यात्रा को गहराई देने और आत्मा को पोषित करने के लिए साधारित आध्यात्मिक वीडियो खोजें। गुरुमाँ के साथ शामिल हों, जो व्यक्तियों को आंतरिक शांति, पूर्णता और आत्म-खोज में प्रेरित करती हैं।

प्रेरणादायक

गुरुमाँ अनीता की शिक्षाएं और संवादों से लोगों में उत्साह और सकारात्मकता का भाव उत्पन्न होता है। उनका संदेश स्वास्थ्य, समृद्धि, और सामाजिक उत्थान को बढ़ावा देने के लिए प्रेरित करता है।

श्री राम कथा

जब श्री राम को जाना पड़ा वनवास, तो कैसे रो पड़ी थी अयोध्या। 14 वर्षों के वनवास के बाद, श्री राम की अयोध्या वापसी| गुरूमाँ ने इन विषयों को बहुत ही भावुक और भावपूर्ण ढंग से व्याख्या किया है।

शिव कथाएं

गुरूमाँ ने शिवजी, रुद्राक्ष और 12 ज्योतिर्लिंगों की अद्भुत कथाएँ बहुत ही भक्ति भाव से ओत प्रोत होकर व्याख्या की हैं|

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